Thursday, 8 October 2015
Benefit of daily exercise | 6 Reasons Why Exercise Makes You Happy | 11 Simple Ways to Make Yourself Happy Every Day
एक्सरसाइज, एक ऐसा तरीका है जिससे आप खुश रह सकते हैं। आपको यकीन नहीं हो रहा होगा कि ऐसा कैसे संभव है। तो हम आपको बताते है कि एक्सरसाइज से आप किस तरह खुश रह सकते हैं:
1) एंडोमार्फिन:
जब आप काम करते हैं तो शरीर से सारी ऊर्जा चली जाती है। ऐसे में एक्सरसाइज करने से एंडोमार्फिन, शरीर में बनती है और आपका मन खुश हो जाता है।
2) एंटी-बॉडी:
एक्सरसाइज आपके जीवन को बढ़ाती है। अब आपको लगता होगा कि ऐसा कैसे संभव है। चूंकि एक्सरसाइज करने से शरीर एंटी-बॉडी बनते है जिससे शरीर स्ट्रांग बन जाता है।
3) मूड:
एक्सरसाइज करने से मूड अच्छा होता है क्योंकि दिमाग रिफ्रेश हो जाता है और आपको फील गुड फैक्टर आता है।
4) आत्म-संयम:
एक्सरसाइज करने से आत्म-संयम बढ़ता है। इससे धन और स्थिति में सुधार होता है और आपकी सोच पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
5) शेप:
एक्सरसाइज करने से बॉडी का शेप अच्छा आता है। इससे आपका शरीर और जवां दिखता है। जो लोग अपनी उम्र को लेकर ज्यादा कॉन्शियस रहते हैं वो एक्सरसाइज जरूर करें।
6) त्वचा:
रेगुलर एक्सरसाइज करने से त्वचा में ग्लो आता है क्योंकि शरीर में ब्लड़ सर्कुलेशन अच्छा रहता है जिससे त्वचा स्वस्थ रहती है और उसमें अंदरूनी चमक आती है।
7) रिलैक्स रहें:
जी हां, एक्सरसाइज करने से आपका मन शांत हो जाता है और आप रिलैक्स हो जाते हैं। एक्सरसाइज करने से आपका ध्यान सारी चिंताओं से दूर हो जाता है जिससे आप राहत महसूस करते हैं।
6 Ways to 7 days inside the abdomen in Hindi | 6 तरीके जो 7 दिन में पेट को अंदर कर देंगे | How To Get Rid Of Belly Fat Within 7 Days
6 तरीके जो 7 दिन में पेट को अंदर कर देंगे:
● मोटापा एक बीमारी है जो न सिर्फ पर्सनैलिटी खराब करती है बल्कि कई बीमारियों को भी न्योता देता है। मोटापा बढऩे पर हाई ब्लडप्रेशर , कमर दर्द , दिल की बीमारी , घुटने में दर्द जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसीलिए मोटापा कम करते हैं तो डायटिंग करते हैं या घंटों जिम में वर्कआऊट करते हैं लेकिन फिर भी वजन कम नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनका डाइट चार्ट सही नहीं होता है। अगर खाने पर पूरा ध्यान दिया जाए और थोड़ा वर्कआऊट किया जाए तो वजन को जल्द ही कम किया जा सकता है आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही छोटे-छोटे टिप्स जिनसे आप सिर्फ सात दिनों में अपना वजन चमत्कारिक रूप से कम कर पाएंगे...
1) चॉकलेट्स, आलू, अरबी और मीट आदि न खाएं और चावल भी मांड निकाल कर खाएं। ओवर ईटिंग न करें और बीच-बीच में भूख लगे तो सलाद गाजर, खीरा, ककड़ी भूने चने, सलाद, मुरमुरे, रोस्टेड स्नेक्स आदि खा सकते हैं।
2) रोजाना सुबह और शाम वॉक पर जाएं। कम से कम 4 कि.मी.वॉक करें। लंच के बाद भी कुछ देर जरुर वॉक करें।अगर आप रात में 8:30 बजे के बाद खाना खा रहे हैं, तो चपाती और चावल के बजाय दाल और सब्जियों को प्राथमिकता दें। रात में हल्का खाना खाएं।
3) टोंड दूध और टोंड दही, पनीर और अन्य सामग्री का इस्तेमाल करें। पानी पेट को ऐसे तत्व से भर देता है, जिसमें कोई कैलोरी नहीं होती। इससे व्यक्ति को पेट भरा होने का अहसास होता है और नतीजतन वह खाने के दौरान कम कैलोरी लेता है।पानी ज्यादा पीना चाहिए और मीठे और हाइकैलोरी वाले खाद्य पदार्थ कम लेने चाहिए।
4) खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। परंपरागत मसाले सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट , ऐंटी ऑक्सीडेंट और फाइबर भी होते हैं। सिर्फ ध्यान रखें कि इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।
5) वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टीग्रेन या मल्टीकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें।
6) दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफास्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफास्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहता हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफास्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते या खाने में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें। कभी दूध के साथ दलिया ले सकते हैं या कभी वेज सैंडविच पोहा व उपमा भी ले सकतेे हैं।
अपने पतिदेव को पटाना हो तो आजमाइये ये ब्यूटी टिप्स | Top 10 beauty tips for husband wooing | Top 10 Secrets Of Dating Younger Women
10 Ways to Woo Your Husband or Wife:
क्या आप इस बात को लेकर दुखी है कि आप जिस लड़के पर फिदा है, वह आपकी ओर ध्यान नहीं दे रहा है? या फिर आपके साथ पढ़ने वालों ने आपके लुक की तारीफ करना बंद कर दिया है? अगर ऐसा है तो यह समय कुछ करने का है। घरेलू नुस्खों से हटाइये घाव के निशान
आइए हम आपको कुछ ऐसे ब्यूटी टिप्स दे रहे हैं, जिससे आप उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं।
स्मोकी आई:
आखों में स्मोकी इफैक्ट देने के लिए आपको एक अच्छे ब्रांड का काजल पेंसिल और मस्कारा की जरूरत पड़ेगी। काजल को लगाने से पहले काजल को पानी में भिंगा ले और आंख के नीचे लगाएं। इससे काजल को फैलने में मदद मिलेगी और आंखों में चमक भी आएगी। काजल लगा लेने के बाद मस्कारा का इस्तेमाल करें। याद रखें कि ओवरआल इफैक्ट शानदार होना चाहिए नहीं तो ऐसा लगेगा जैसे आंख के नीचे डार्क सर्किल बन गए हैं। उनसे मिलने जाने से पहले अच्छे से अभ्यास जरूर कर लें।
आकर्षक होंठ:
पुरुष की नजर सबसे पहले जिस हिस्से पर पड़ती है उनमें से होंठ भी एक है। खूबसूरत होंठ के साथ आपका बोलना और आपका मुस्कुराता किसी भी पुरुष को लुभा सकता है। लिप कलर का कोई अच्छा सा शेड इस्तेमाल करें या फिर अपने होंठ को इस तरह चमकाएं ताकि वह स्किन टोन से मेल खाए। लिप कलर का शेड चुनते वक्त थोड़ा सावधान रहें। ऐसे कलर का चुनाव करें जो आपके रंग-रूप के अनुरूप हो। कभी भी अपने होंठ को बहुत ज्यादा चमकीला और भड़कीला न बनाएं।
गुलाबी गाल:
पुरुषों को अकसर इस बात से शिकायत रहती है कि महिलाओं को गुलाबी रंग क्यों इतना पसंद होता है। पर बात जब मेकअप की होती है तो गुलाबी रंग सबसे सुरक्षित होता है। बस आपको यह पता होना चाहिए कि इसका इस्तेमाल कहां और कितनी मात्रा में करना है। गाल पर गुलाबी रंग का इस्तेमाल बेहद आकर्षक होता है। पर बहुत ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल न करें। इससे आप ड्रैग क्वीन की तरह लगने लगेंगी। इसलिए सबसे पहले अपने चेहरे पर थोड़ा सा फाउंडेशन लगाएं और और कॉनकेलर के जरिए दाग-धब्बों को छिपाएं। अब अपने गाल पर हल्के हाथों से बारीकी के साथ गुलाब का पाउडर लगाएं।
खूबसूरत बाल:
क्या जब कोई लड़का आपके बालों से खेलता है तो आपको अच्छा लगता है? क्या आप नहीं चाहते कि वह बार-बार ऐसा करे? इसके लिए जरूरी है कि आपके बाल मुलायम, चमकीले और सुगंधित हों। याद करें कि किस तरह राचेल का नारियल का सुगंध वाला बाल रोस को उनके लिए बेकरार कर देता था। इसलिए अपने बालों में शैंपू और कंडीश्नर का इस्तेमाल करें और फिर देखें कि वह किस तरह वह आप पर फिदा होता है।
सुंदर नाखुन:
अगर आपको लगता है कि नाखुन की देखभाल और पैरों की साफ-सफाई के लिए आप जो पैसा खर्च करेंगी वह बेकार चला जाएगा और इस पर कोई ध्यान नहीं देगा, तो आप अपने विचार बदल दें। पुरुषों का ध्यान महिलाओं की नाखुन पर भी जाता है। लंबे और खूबसूरत नाखुन से एक महिला की सुंदरता और भी निखर कर सामने आती है। इसलिए आप अपने नाखुन को सुंदर बनाने की कोशिश करें। अपने स्किन टोन के अनुसार आप अलग-अलग शेड के नेल पॉलिश का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। नेल आर्ट आज के समय में काफी प्रचलन में है और पुरुषों का ध्यान इस ओर जरूर जाता है। इसलिए अपने नाखुन का विशेष ध्यान रखें।
नर्म त्वचा:
स्पर्श करना पुरुषों के लिए बहुत मायने रखता है। अपने हाथ और पैर को नियमित रूप से वैक्स करें और नहाने के बाद एक अच्छे दर्जे का मॉइस्चराइजर लगाएं। इससे न सिर्फ आपकी त्वचा चिकनी होगी, बल्कि इसमें निखार भी आएगा। इससे उनके मन में शारीरिक स्पर्श की इच्छा ज्यादा होगी।
सांसों में ताजगी:
जिस तरह आपको किस करते समय लड़के के मुंह से आनी वाली दुर्गंध से परेशनी होती है, उसी तरह यह परेशानी लड़कों को भी होती है। उन्हें किस करते समय इस बात में जरा भी दिलचस्पी नहीं होती कि आपने लंच या डिनर में क्या खाया था। इसलिए हमेशा अपने साथ पिपरमेंट स्प्रे और टूथपिक्स रखें और उसका इस्तेमाल करें। अपने दांतों में चिप्स या भोजन के टुकड़ों को फसा हुआ न रहने दें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। इससे आपका मुंह सूखेगा नहीं और सांसों में ताजगी भी बनी रहेगी। इतना ही नहीं, आपको हर सुबह माउथवॉश से अपना मुंह धोना चाहिए।
सही एसेसरीज:
सही एसेसरीज भी बेहद जरूरी है। हो सकता है आपको ज्वेलरी से बेहद लगाव हो, पर इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे किसी भी चीज के साथ पहन लें। ज्वेलरी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल न करें। ज्वेलरी सिर्फ आपके लुक को बेहतर बनाएगा। इसलिए अपने ज्वेलरी का चयन अपने परिधान के अनुसार ही करें।
आकर्षक हील:
इस बात में कोई शक नहीं कि आप हील से सेक्सी दिखेंगी। यह बात साबित हो चुकी है कि हील से आपके पैर लंबे नजर आते हैं। ये तो हम सभी जानते हैं कि पुरुषों को लंबे पैर कितने पसंद होते हैं। एक ताजा शोध में यह बात भी सामने आई कि हील पहनने से आप अंदर से खुद को आत्मविश्वास से भरा महसूस करते हैं। क्या पता, हील पहनने के बाद आपका आत्मविश्वास इतना ज्यादा बढ़ जाए कि आप उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखने की हिम्मत जुटा सकें।
अच्छी खुशबू:
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप लंबे समय से ऑफिस में काम कर रही हैं या फिर यहां वहां भागदौड़ कर रही हैं, आपके बदन से अच्छी खुशबू का आना बेहद जरूरी होता है। वैसे ये पहली चीज नहीं है जिस पर पुरुष ध्यान देते हैं, पर आप बिलकुल नहीं चाहेंगे कि वह आपसे दूर भागे। आप जब भी मिलने जाएं, साथ में परफ्यूम जरूर रखें। भारतीय जलवायु के अनुसार दुर्गंधनाशक रखना सबसे अच्छा रहेगा। तो अगली बार जब आप किसी पुरुष के बगल से गुजरेंगी तो फूलों की महक, मुश्क और दूसरी तरह की खुशबू से वह आपको दोबारा देखने से खुद को रोक नहीं पाएगा।
चेहरे पर पड़े इन भद्दे दाग को कैसे हटायें? how remove facial scars in hindi | how to remove pimple scars fast
चेहरे पर पड़े इन भद्दे दाग को कैसे हटायें?
मुँहासे स्किन से सम्बंधित विकार है जो कि काफी परेशानी भरे होते हैं| मुहासों का ईलाज नियमित दवा और पूर्ण स्किन केयर से संभव है| मुँहासे मिटने के बाद भी अपने दाग छोड़ देते हैं और चेहरे की सुंदरता को बिगाड़ देते हैं| बाजार में उपलब्ध साधारण क्रीम द्वारा आप इन दाग धब्बों को नहीं मिटा सकते हैं| कुछ लोग इन दागों को हटाने के लिए लेजर तकनीक का इस्तेमाल भी करते हैं| सौभाग्य से कुछ प्राकृतिक उपचार हैं जिनसे आप बिना किसी दुष्प्रभाव के त्वचा के दागों से छुटकारा पा सकते हैं|
हम आपको कुछ घरेलु उपचार बता रहें हैं जिनसे आप चेहरे के दाग धब्बे हटा सकते हैं| फिर भी मनचाहा परिणाम पाने के लिए आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा और इन स्टेप्स का पालन करना होगा
1) जैतून का तेल
जैतून का तेल लगाने से दाग कम हो सकते हैं| चेहरे पर जैतून का तेल लगाकर कुछ देर भाप लें इससे रोम छिद्र साफ़ होते हैं और दाग हल्के पड़ते हैं|
2) चन्दन
चन्दन का पेस्ट बनाकर लगाने से भी दाग हल्के करने में मदद मिलती है| चन्दन के पाउडर को गुलाब जल या दूध में मिला लें| इसे दागों पर लगाएं और 1 घंटे के लिए छोड़ दें फिर चंदे पानी से धो लें|
3) बादाम
बादाम को पानी में या दूध में 12 घण्टे के लिए भिगों दें| छिलका उतार दें और मसल लें| इसमें कुछ गुलाब जल मिला लें और दागों पर लगाएं|
4) नींबू का जूस
नींबू का जूस दो हफ़्तों तक दिन में तीन बार पीने से दाग कम होते हैं|
5) स्क्रबिंग (रगड़ना)
बेकिंग सोडा से स्किन को स्क्रब करने से भी दाग हटाने में मदद मिलती है| बेकिंग सोडा को पानी के साथ मिला लें और एक से दो मिनट तक चेहरे पर स्क्रब करें| इसे गर्म पानी से धो दें| इस क्रिया को नियमित करें|
6) आलू
आलू भी दाग हटाने में मदद कर सकता है| इसमें सल्फर और पोटैशियम की मात्रा होती है| कच्चे आलू मसल लें और इनका जूस दाग वाली जगहों पर लगाएं|
दो दिनों में चेहरे को गोरा करने के बेस्ट तरीके | झट से गोरा बनाने वाले 11 फेस पैक (11 Natural Face Packs for all Skin Types)
दो दिनों में चेहरे को गोरा करने के बेस्ट तरीके:
● चेहरे को अगर गोरा तथा दाग-धब्बे रहित बनाना चाहती हों, तो अभी से ही उस पर घर में उपलब्ध प्राकृतिक सामग्रियों का बना फेस पैक लगाना शुरु कर दें। बादाम, पपीता, अंडा, पुदीना और केला आदि जैसी चीज़ें आपके चेहरे का रंग कुछ ही दिनों में निखार सकती हैं।
● हम अपने इस लेख में आपको कुछ फेस पैक्स बनाना सिखाएंगे जिसे आप किसी भी प्रकार से चेहरे के लिये प्रयोग कर सकती हैं। इन फेस पैक में आपके चेहरे के लिये विटामिन ई और अन्य न्यूट्रियंट्स होंगे जो चेहरे को स्वस्थ्य, चमकदार और गोरा बनाएंगे। आइये जानते हैं ऑइली स्किन के लिये कुछ बेस्ट फेयरनेस फेस पैक।
1) पपाया फेस पैक
पपीते से आप अपने चेहरे का रंग काफी हद तक निखार सकती हैं। पपीते को थोड़ी सी दही के साथ मिक्स कर के चेहरे के लिये फेयरनेस पैक बनाया जा सकता है।
2) Lemon फेस पैक
नींबू अक्सर ब्लीचिंग के लिये प्रयोग किया जाता है। इसे लगाने से भी चेहरे का रंग निखरता है। इसे सीधे लगाएं या फिर किसी पैक में मिला कर लगाएं। भारतीय त्वचा के लिये ओटमील काफी अच्छा है। इस फेस पैक को चेहरे पर लगाइये और फिर देखिये फरक।
3) आलू
आलू को छील कर घिस लें और चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे पर मुंहासों के दाग भी गायब हो जाएंगे और चेहरा भी दमक जाएगा।
4) टमाटर
टमाटर के पल्प को लगाने से तुरंत ही फरक देखने को मिलता है। इसे थोडे़ से नींबू के रस के साथ आजमाइये। यह संवेदनशील त्वचा के लिये भी काफी अच्छा है।
5) बादाम
कुछ बादाम को रातभर के लिये पानी में भिगो दें। फिर उसे छील कर पीस लें और उसे शहद के साथ मिक्स करें। अब इसे चेरहे पर लगा लें और कुछ देर के बाद चेहरे को धो लें।
6) बेसन फेस पैक
अगर आपको हफ्तेभर में गोरा बनना है तो बेसन, हल्दी और मलाई का फेस पैक लगाइये।
7) मिंट फेस पैक
यह त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पुदीने की पत्तियों का फेस पैक लगाने से पोर्स खुलते हैं, जिससे रंग निखरता है।
8) बनाना फेस पैक
थोड़े से केले को मैश कर के उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाएं और चेहरे तथा गर्दन पर लगाएं। इसे 20 मिनट के लिये पानी से धो लें।
9) चंदन पावडर फेस पैक
इसे किसी भी प्रकार की स्किन पर प्रयोग किया जा सकता है। चेहरा गोरा करने के लिये इसमें रोज वॉटर मिला कर मुंह पर लगाएं।
10) गाजर फेस पैक
1 गाजर को पीस कर पेस्ट बना लें। फिर उसमें ताजी दही मिक्स करें और फिर इसे चेहरे पर लगा लें। इससे आपके चेहरे का रंग धीरे धीरे साफ होना शुरु हो जाएगा।
11) नारियल फेस पैक
यह एक बेस्ट चीज है जिसे आप अपने चेहरे के लिये इस्तमाल कर सकती हैं। इससे तैयार किया हुआ फेयरनेस पैक लगाने से चेहरा टोन और मुलायम होता है।
Top Benefits and Uses of Amla Juice for Skin Health | Health Benefits of Amla - Amla for Healthy Hair, Skin, Weight
Benefits of Amla Juice for Skin - Amazing Home Beauty Tips:
Amla is a fruit with great medicinal properties. It has been used since ages for all the benefits it has. Amla can be used in a number of different ways. To reap all the benefits of amla, use it in the correct way. It can be consumed orally or even applied topically. Read on to know how to use amla for all your issues.
Benefits of Drinking Amla Juice for Skin:
Complexion:
Your skin is brightened because of the antioxidants and Vitamin C in amla. Add honey to drink it, or use it as a face pack to make your complexion lighter. Blemishes are also removed.
Control Ageing:
The antioxidants in amla make your skin look younger. Fine lines, wrinkles, dark spots, and other signs of ageing are controlled.
Cleansing and Exfoliation:
Applying or consuming amla juice cleanses your body and skin. Dead skin cells are removed when you use it for exfoliation. Use some water to dilute before you apply it.
Damaged Tissues:
Vitamin C and antioxidants in amla make it a good healing agent. Damaged tissues are healed faster, and your skin becomes clear and healthy. Dry and scaly skin is also cured.
Pigmentation:
Amla makes your skin look flawless and glowing. Pigmentation is reduced, and your skin gets brighter. Use cotton to dip in amla juice and apply on your face. Wash off after some time for clear skin. Repeat the procedure daily.
Pimples and Acne:
Make a paste of amla and apply on your face. Wash it off after 10 to 15 minutes to get rid of acne and pimples. Drink amla juice daily to purify your blood and fight against the microorganisms that cause skin problems.
Skin Tightening and Toning:
The skin loses firmness and softness due to reduction in skin collagen. The Vitamin C in amla helps in production of collagen and makes your skin soft, smooth, and supple. It is also made tighter and toned.
आंवले के प्रयोग | health benefits of amla in hindi | Benefits of Amla - आंवला के फायदे और गुण
आंवला के फायदे और गुण:
वमन (उल्टी) : -* हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
* त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 ग्राम जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
* आंवले के 20 ग्राम रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
* आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
* आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
* आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 ग्राम सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
* आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
संग्रहणी : -मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।
"मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) : -* आंवले की ताजी छाल के 10-20 ग्राम रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
* आंवले के 20 ग्राम रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
विरेचन (दस्त कराना) : -रक्त पित्त रोग में, विशेषकर जिन रोगियों को विरेचन कराना हो, उनके लिए आंवले के 20-40 मिलीलीटर रस में पर्याप्त मात्रा में शहद और चीनी को मिलाकर सेवन कराना चाहिए।
अर्श (बवासीर) : -* आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
* बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
* सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
* सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
* आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
* आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।
शुक्रमेह : -धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 ग्राम तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।
खूनी अतिसार (रक्तातिसार) : -यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 ग्राम तक दिन में 3 बार पिलाएं।
रक्तगुल्म (खून की गांठे) : -आंवले के रस में कालीमिर्च डालकर पीने से रक्तगुल्म खत्म हो जाता है।
प्रमेह (वीर्य विकार) : -* आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
* आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।
पित्तदोष : -आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं|
तुलसी को संभालकर रखे :: बहुत काम की है | Basil (Tulsi)is a lot of work stored | health benefits of basil leaves
28 Amazing Benefits and Uses Of Basil (Tulsi) Leaves:
हमारे दैनिक जीवन में तुलसी का बहुत ही व्यापक उपयोग है। हमें गमलों में तुलसी के भी दो-चार पौधे लगाने चाहिए।
* तुलसी 24 घंटे हमको आक्सीजन देती है |
* तुलसी का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। तुलसी का उपयोग करने के तत्काल बाद दूध नहीं पीना चाहिए। उससे कई रोग पैदा हो जाते हैं। अनेक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन दूध के साथ बताया गया है लेकिन तुलसी का सेवन गंगाजल, शहद या फिर सामान्य पानी के साथ बताया गया है।
आयुर्वेद के मतानुसार, यदि कार्तिक मास में प्रातःकाल निराहार तुलसी के कुछ पत्तों का सेवन किया जाए तो मनुष्य वर्ष भर रोगों से सुरक्षित रहता है।
* तुलसी के सेवन से विचार शुद्ध और पवित्र रहते हैं। वासना की ओर मन आकृष्ट नहीं हो पाता। मन में न तो वासनात्मक विचार उत्पन्न होते हैं न क्रोध आता है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में चुस्ती-फुर्ती पैदा होती है। चेहरा कान्तिपूर्ण बन जाता है।
तुलसी रक्त विकार का सबसे बड़ा शत्रु है। रक्त में किसी भी कारण से विकार उत्पन्न हो गए हों, धोखे या जानबूझकर खा लेने पर विष रक्त में घुलमिल गया हो, तुलसी के नियमित प्रयोग से वह विष रक्त से निकल जाता है।
* तुलसी के पौधे आंखों की ज्योति और मन को शान्ति प्रदान करते हैं। वातावरण में सात्विकता की सृष्टि करते हैं। तुलसी हृदय को सात्विक बनाती है। मन, वचन और कर्म से पवित्र रहने की प्रेरणा के लिए तुलसी प्रयोग की जाती है।
* तुलसी हिचकी, खांसी, विष विकार, पसली के दाह को मिटाने वाली होती है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित कफ तथा वायु का शमन होता है।
* तुलसी कटु, तिक्त, हृदय के लिए हितकर, त्वचा के रोगों में लाभदायक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली मूत्रकृच्छ के कष्ट को मिटाने वाली होती है। यह कफ और वात सम्बन्धी विकारों को ठीक करती है।
* सामान्यतः तुलसी के दो ही भेद जिन्हें रामा और श्यामा कहते हैं। रामा के पत्तों का रंग हलका होता है जिससे उसका नाम गौरी पड़ गया है। श्यामा अथवा कृष्णा तुलसी के पत्तों का रंग गहरा होता है और उसमें कफनाशक गुण अधिक होता है। इसलिए औषधि के रूप में प्रायः कृष्णा तुलसी का ही प्रयोग किया जाता है। इसकी गंध व रस में तीक्ष्णता होती है।
तुलसी की अन्य कई प्रजातियाँ होती हैं। एक प्रजाति ‘वन तुलसी’ है जिसे ‘कठेरक’ भी कहते हैं। इसकी गंध घरेलू तुलसी की अपेक्षा कम होती है और इसमें विष का प्रभाव नष्ट करने की क्षमता होती है।
दूसरी जाति को ‘मरुवक’ कहते हैं। हथियार से कट जाने या रगड़ लगकर घाव हो जाने पर इसका रस लाभकारी होता है। किसी विषैले जीव के डंक मार देने पर भी इसका रस लाभकारी होता है।
तीसरी जाति बर्बरी या बुबई तुलसी की होती है, इसकी मंजरी की गंध अधिक तेज होती है। इसके बीज अत्यधिक वाजीकरण माने गए हैं।
तुलसी के कई नाम हैं --
* कायस्था--क्योंकि यह काया को स्थिर रखती है।
* तीव्रा--क्योंकि यह तीव्रता से असर करती है।
* देव-दुन्दुभि--इसमें देव-गुणों का निवास होता है।
* दैत्यघि- -रोग-रूपी दैत्यों का संहार करती है।
* पावनी- -मन, वाणी और कर्म से पवित्र करती है।
* पूतपत्री- -इसके पत्र (पत्ते) पूत (पवित्र) कर देते हैं।
* सरला-- हर कोई आसानी से प्राप्त कर सकता है।
* सुभगा- -महिलाओं के यौनांग निर्मल-पुष्ट बनाती है।
* सुरसा-- यह अपने रस (लालारस) से ग्रन्थियों को सचेतन करती है।
* कार्तिक महीने में जो तुलसी का सेवन करता है, उसे साल भर तक डॉक्टर-वैद्य, हकीम के पास जाने की जरूरत नहीं पड़तीं।
* तुलसी के पत्तो (रस) सेवन करने के बाद दूध न पीएं। इससे चर्म-रोग हो सकते हैं।
* कार्तिक महीने में यदि तुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकें हों तो उसके बाद पान न खाएं। ये दोनों गर्म हैं और कार्तिक में रक्त-संचार भी प्रबलता से होता है, इसलिए तुलसी के बाद पान खाने से परेशानी में पड़ सकते हैं।
* तुलसी-दल के जल से स्नान करके कोढ़ नहीं होता।
* सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान अन्न-सब्जी में तुलसी-दल इसलिए रखा जाता है कि सौरमण्डल की विनाशक गैसों से खाद्यान्न दूषित न हो।
* जीरे के स्थान पर पुलाव आदि में तुलसी रस के छींटे देने से पौष्टिकता और महक में दस गुना वृद्धि हो जाती है।
* तेजपात की जगह शाक-सब्जी आदि में तुलसी-दल डालने से मुखड़े पर आभा, आंखों में रोशनी और वाणी में तेजस्विता आती है।
* तेल, साबुन, क्रीम और उबटन में तुलसी, दल और तुलसी रस का उपयोग, तन-बदन को निरोग, सुवासित, चैतन्य और कांतिमय बनाता है।
सामान्य ज्वर:-
* दस तुलसी के पत्ते, बीस काली मिर्च, पांच लौंग, थोड़ी-सी सोंठ पीसकर ढाई सौ मिलीलीटर पानी में उबाल लें और शक्कर मिलाकर रोगी को पिला दें। अगर रोगी को ज्वर के कारण घबराहट महसूस होती हो तो तुलसी के रस में शक्कर डालकर शरबत बना लें और रोगी को पिला दें। शीघ्र आराम मिलता है।
मौसमी बुखार:-
* तुलसी की दस ग्राम जड़ लेकर पानी में उबालिए और पी जाइए दो-तीन दिन सुबह-शाम इस उपचार से रक्त-साफ स्वच्छ हो जाएगा।
पुराना बुखार:-
तुलसी रस में मिश्री घोलकर तीन-तीन घंटे बाद तीन दिन तक पिलाए। ज्वर भी उतर जाएगा और खांसी व दर्द भी जाते रहेंगे।
सर्दी बुखार:-
* पांच तुलसी-दल और पांच काली मिर्च पानी में पीसकर पिलाएं। तुलसी-मिर्च का वह चूर्ण ढाई सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से तुरन्त असर होता है। आधे-आधे घंटे बाद दो बडे़ चम्मच पिलाते रहने से निश्चित लाभ होता है।
खांसी बुखार:-
* दस ग्राम तुलसी-रस, बीस ग्राम शहद और पांच ग्राम अदरक का रस मिलाकर एक बड़ा चम्मच भर कर पिला दें। अद्भुत योग है, आजमाकर देख लें।
* ग्यारह पत्ते तुलसी और ग्यारह दाने काली मिर्च, दोनों को पानी में पीसकर छान लें। इधर आग पर मिट्टी का खाली सकोरा पकाकर लाल कर दें और उसमें तुलसी काली मिर्च का घोल छौंक दें। यह घोल गुनगुना रह जाने पर काला नमक मिलाकर पिला दें। खांसी बुखार समूल निकल भागेंगे।
* दो ग्राम तुलसी पत्ते, दो ग्राम अजवायन पीसकर पचास ग्राम पानी में घोलकर पिला दें। सुबह-शाम पिलाएं।
मलेरिया:-
* तुलसी का रस, मंजरी, तुलसी-माला, तुलसी के पौधे और तुलसी-बीज मलेरिया को काटकर फेंक देते हैं। तुलसी-रस दस ग्राम और पिसी काली मिर्च एक ग्राम मिलाकर रोगी को दिन में पांच-छह बार दो-दो घंटे बाद पिलाते रहें। परेशानी से बचना चाहें तो तुलसी के दो सौ ग्राम रस में सौ ग्राम काली मिर्च मिलाकर रख दें। सुबह-दोपहर-शाम एक-एक चम्मच पिलाएं।
पुराना मलेरिया:-
* सात तुलसी-दल और सात काली मिर्च दोनों दाढ़ के नीचे रखकर चूसते रहें दिन में तीन-चार बार यही प्रक्रिया दोहराने से महीनों पुराना मलेरिया भी भाग जाएगा।
लगातार बुखार रहना:-
* जलकुम्भी के फूल, काली मिर्च और तुलसी-दल, तीनों समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें और प्रातः-सायं पिलाएं।
* तुलसी-दल दस ग्राम लेकर पांच दाने काली मिर्च के साथ घोट लें और दिन में तीन बार सेवन कराएं। आन्तरिक सफाई होते ही बुखार का नामोनिशान भी नहीं रहेगा।
सन्निपात:-
* ज्वर इतने जोर का बढ़ जाए कि आदमी बड़बड़ाने लगे, ऐसी स्थिति में तुलसी, बेल (बिल्व) और पीपल के पत्तों का काढ़ा उबालें। जब पानी ढाई-तीन सौ ग्राम बच जाए तो शीशी में भर लें। दस-दस ग्राम दो-दो घंटे बाद रोगी का पिलाते रहें। निश्चित ही लाभ होगा।
लू लगना:-
* एक चम्मच तुलसी-रस में देशी शक्कर मिलाकर एक-एक घंटे बाद देते रहें। यह न समझें कि तुलसी-रस गर्म होने से हानि पहुंचाएगा। संजीवनी शक्ति जिस कन्दमूल में भी होगी, वह गर्म ही होगा। आराम आने के बाद भी धूप में निकलना हो तो तुलसी रस में नमक मिलाकर पीएं इससे लू लगने की आशंका ही नहीं रहेगी। प्यास भी कम लगेगी और चक्कर भी नहीं आएंगे।
टूटा-टूटा बदन:-
* उपचार-तुलसी दल की चाय बनाकर पीएं आपके बदन में ताजगी की लहरें दौड़ने लगेंगी। घर में अगर चाय की पत्ती की जगह तुलसी दल सुखाकर रख लें तो कफ, सर्दी, जुकाम, थकान और बुखार या सिर-दर्द पास भी नहीं फटकेंगे।
जुकाम:-
* छोटी इलायची के कुल दो दाने और एक ग्राम तुलसी बौर (मंजरी) डालकर काढ़ा बनाएं और चाय की तरह दूध-चीनी डालकर पिला दें। दिन में चार-पांच बार भी पिला देंगे तो खुश्की नहीं करेगी, मगर सर्दी-जुकाम को जड़ से ही गायब कर देगी।
* तुलसी के पत्ते छः ग्राम सोंठ और छोटी इलायची छः-छः ग्राम, दालचीनी एक ग्राम पीसकर चाय की तरह उबाल लें। थोड़ी-सी शक्कर डाल लें। दिन में इस चाय का चार बार बनाकर पीएं। कुछ खाएं नहीं जुकाम कैसा भी हो ठीक हो जाएगा।
यदि जुकाम के साथ बुखार भी हो तो चाय के अलावा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर दिन में चार बार सेवन करें। जुकाम के कारण होने वाला ज्वर शान्त हो जाएगा।
* दालचीनीं, सोंठ और छोटी इलायची, कुल एक ग्राम, तुलसी-दल, छह ग्राम, इन्हें पीसकर चाय बनाएं और पीएं। दिन में ऐसी चाय चार बार भी ले सकते हैं। उस रात पेट भरकर खाना न खाएं। अगली सुबह आराम आ जाएगा।
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:-
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है
नपुंसकता:--
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
मासिक धर्म में अनियमियता:-
* जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है
* तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है
साबूदाने की असलियत :: benefits of sabudana in hindi | 7 health benefits of sabudana or tapioca
Health benefits of eating sago / saboodana:
साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत, उपवास में इसका काफी प्रयोग होता है। लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है।
साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं ऊगता । यह कासावा या टैपियोका नामक कन्द से बनाया जाता है । कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी उगाया जाता है । केरल में इस पौधे को “कप्पा” कहा जाता है । इस कन्द में भरपूर स्टार्च होता है । यह सच है कि साबूदाना (Tapioca) कसावा के गूदे से बनाया जाता है परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।
साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में बनी कुण्डियों में डाला जाता है तथा रसायनों की सहायता से उन्हें लम्बे समय तक गलाया, सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है। रात में कुण्डियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाये जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे मोटे जहरीले जीव भी इन कुण्डियों में गिर कर मर जाते हैं।
दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लम्बे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहरायी जाती है। और फिर उनमें से प्राप्त स्टार्च को धूप में सुखाया जाता है । जब यह पदार्थ लेईनुमा हो जाता है तो मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर गोलियाँ बनाई जाती हैं ,ठीक उसी तरह जैसे की बून्दी छानी जाती है ।
इन गोलियों को फिर नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है । और मोती जैसे चमकीले दाने बनाकर साबूदाने का नाम रूप दिया जाता है
बस साबूदाना तैयार । फिर इन्हे आकार ,चमक, सफेदी के आधार पर अलग अलग छाँट लिया जाता है और बाज़ार में पहुंचा दिया जाता है । परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह सभी को दिखायी नहीं देती।
मांशाहारी हो तो ...साबूदाना ये फायदा करता है ----
शरीर को ऊर्जा देता है
साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है और फैट्स कम होता है इसलिए इसके सेवन से शरीर के तुरंत ऊर्जा मिलती है।
शरीर को ठंडा रखता है
'द न्यू ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ फूड प्लांट्स' के अनुसार, चावल के साथ साबूदाना का कांबिनेशन शरीर की गर्मी को कम करने और ठंडक पहुंचाने में मदद करता है।
पाचन में आसान
साबूदाना पाचन में आसान है इसलिए पेट से जुड़ी समस्याओं में इसका सेवन काफी फायदेमंद है।
पोषक तत्व
साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट 87 ग्राम है, कैलोरी 351, फैट्स 0.2 ग्राम और प्रोटीन 0.2 ग्राम है। यही वजह है कि फलाहारी डाइट में इसे दूध, आलू, मूंगफली आदि के साथ मिलाकर बनाया जाता है जिससे पोषक तत्वों की कमी पूरी हो सके।
करेला खाने के लाभ (The benefits of eating bitter gourd) | 10 benefits of bitter gourd in Hindi
Top 15 Health Benefits Of Bitter Gourd:
करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है।
हमारे शरीर में छ: रस चाहिए - मीठा, खट्टा, खारा, तीखा, कषाय और कड़वा | पांच रस, खट्टा/खारा/तीखा, तो बहुत खाते हैं लेकिन कड़वा नहीं खाते हैं | कड़वा कुदरत ने करेला बनाया है लेकिन करेले को निचोड़ के उस की कड़वाहट निकाल देते हैं | करेले का छिलका नहीं उतारना चाहिए और उसका कड़वा रस नहीं निकालना चाहिए | हफ्ते में पन्द्रह दिन में एक दिन करेला खाना तबियत के लिए अच्छा है |
1)कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
2)करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है।
3)करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है।
4)दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
5)लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
6)उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।
7)लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है।
8)जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
9)पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
10)डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
11)करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
12)बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
13)गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
14)दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
15)उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
16)करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।
लहसुन खाने से फायदे और नुकसान ::Advantages and disadvantages of garlic | 10 Amazing Health Benefits Of Garlic
10 Amazing Health Benefits Of Garlic:
लहसुन सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसे खाने के अनेक हेल्दी फायदे भी हैं।
--इसे खाने से शरीर को विटामिन ए, बी और सी के साथ आयोडीन, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व मिलते हैं। यही कारण है कि इसके नियमित सेवन से शरीर ताकतवर व त्वचा चमकदार हो जाती है।
--लहसुन का सेवन करने वालों को फेफड़े के रोग नहीं होते। लहसुन एक शानदार कीटाणुनाशक है, यह एंटीबायोटिक दवाइयों का अच्छा विकल्प है, लहसुन से टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
--लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करें। इससे दमा की शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
--रोजाना इसे खाने से आपका कॉलेस्ट्रॉल लेवल 12 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यह ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है, खून पतला करता है और रक्त प्रवाह सुचारू करता है।
--लहसुन में विटामिन सी होने से यह स्कर्वी रोग से भी बचाता है। यह आँतों के छिपे मल को भी बाहर निकाल देता है और कब्ज, गैस व एसिडिटी से मुक्ति दिलाता है।
--100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने व एक लहसुन की कलियां डालकर धीमी आंच पर पकाएं। लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें। तेल की मालिश करने से पहले इसे हल्का गर्म कर लें।इससे हर प्रकार का बदन दर्द दूर हो जाएगा।
--अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो - लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें। - लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। - लहसुन की पांच-छ: कलियां भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए।
---- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
लहसुन की अधिक मात्रा आपके स्वास्थ्य को हानिकारक प्रभाव भी दे सकती हैं।
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लहसुन सांस में बदबू, मुंह, पेट या सीने में जलन, गैस, मतली, उल्टी, शरीर में गंध और दस्त का कारण बन सकता है।
--लहसुन के गाढ़े पेस्ट का त्वचा पर उपयोग त्वचा को जलने की तरह नुकसान पहुंचा सकता है।
--गर्भावस्था एवं स्तनपान करानेवाली स्त्रियों को वैद्यराज की देखरेख में लेवे |
-- लहसुन के सेवन से खून का बहाव ज्यादा होता है। इसलिए अनुसूचित सर्जरी से कम से कम दो सप्ताह पहले लहसुन का सेवन करना बंद कर दें।
--लहसुन गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में जलन पैदा कर सकता है। इसलिए अगर आपको पाचन संबंधी समस्या हो तो लहसुन का प्रयोग सावधानी से करे|
--अधिक कच्चा मुंह से लहसुन की एक बड़ी राशि लेने के बाद एक स्वस्थ आदमी में दिल का दौरा पड़ने की संभावना हो जाती है |
शीशम से रोग निदान | रोगों के आसान उपचार | Simple Remedies for Diseases
Simple Remedies for Diseases:
शीशम का वैज्ञानिक नाम डेलबर्जिया शीशू (Dalbergia sissoo) हैं, इसका देसी नाम शीशम तथा अंग्रेजी में इसे शीशू (Sissoo) के नाम से जाना जाता है। यह एक विशाल पर्णपाती (Deciduous) वृक्ष होता है, जिसकी ऊँचाई 30 मी0 तक होती है।
पारम्परिक चिकित्सा पद्धति में पत्तियों का अर्क सूजाक (Gonorrhoea) बिमारी के इलाज हेतु दिया जाता है।
जड़ में खून का थक्का बनाने का गुण पाया जाता है।
शीशम की काष्ठ का शर्बत रक्त विकार के उपचार में कारगर होता है।
पत्तियों का क्वाथ फोड़े-फुंसी (Pimples) के उपचार में सहायक होता है।
नेत्ररोग में पत्तों का स्वरस शहद में मिलाकर 1-2 बूंद आँख में डालने से लाभ होता है।
8-10 पत्तो को दिन में ३ बार चबाते रहने से केंसर जैसी बीमारी ठीक होने लगती है |
जड़ में खून का थक्का बनाने का गुण पाया जाता है।
शीशम की काष्ठ का शर्बत रक्त विकार के उपचार में कारगर होता है।
पत्तियों का क्वाथ फोड़े-फुंसी (Pimples) के उपचार में सहायक होता है।
नेत्ररोग में पत्तों का स्वरस शहद में मिलाकर 1-2 बूंद आँख में डालने से लाभ होता है।
8-10 पत्तो को दिन में ३ बार चबाते रहने से केंसर जैसी बीमारी ठीक होने लगती है |