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Thursday, 8 October 2015

Benefit of daily exercise | 6 Reasons Why Exercise Makes You Happy | 11 Simple Ways to Make Yourself Happy Every Day

5 Minute Fat Burning Workouts at Home:

दुनिया में हर कोई व्‍यस्‍त है, हर किसी की जिंदगी में भागमभाग मची हुई है। ऐसे मं हमारा खुश रहना बहुत जरूरी है लेकिन हम समझ नहीं पाते हैं कि किस तरह खुद को खुश रखें। अगर व्‍यक्ति खुश न रहें तो वह अवसाद ग्रसित हो सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको क्‍या चीजें या कौन से काम खुश रख सकते हैं। बोल्‍ड स्‍काई के इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि आप क्‍या करें जिनसे आपको खुशी मिलेगी।

एक्‍सरसाइज, एक ऐसा तरीका है जिससे आप खुश रह सकते हैं। आपको यकीन नहीं हो रहा होगा कि ऐसा कैसे संभव है। तो हम आपको बताते है कि एक्‍सरसाइज से आप किस तरह खुश रह सकते हैं:


1) एंडोमार्फिन:
जब आप काम करते हैं तो शरीर से सारी ऊर्जा चली जाती है। ऐसे में एक्‍सरसाइज करने से एंडोमार्फिन, शरीर में बनती है और आपका मन खुश हो जाता है।
2) एंटी-बॉडी:
एक्‍सरसाइज आपके जीवन को बढ़ाती है। अब आपको लगता होगा कि ऐसा कैसे संभव है। चूंकि एक्‍सरसाइज करने से शरीर एंटी-बॉडी बनते है जिससे शरीर स्‍ट्रांग बन जाता है।
3) मूड:
एक्‍सरसाइज करने से मूड अच्‍छा होता है क्‍योंकि दिमाग रिफ्रेश हो जाता है और आपको फील गुड फैक्‍टर आता है।
4) आत्‍म-संयम:
एक्‍सरसाइज करने से आत्‍म-संयम बढ़ता है। इससे धन और स्थिति में सुधार होता है और आपकी सोच पर भी सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है।
5) शेप:
एक्‍सरसाइज करने से बॉडी का शेप अच्‍छा आता है। इससे आपका शरीर और जवां दिखता है। जो लोग अपनी उम्र को लेकर ज्‍यादा कॉन्‍शियस रहते हैं वो एक्‍सरसाइज जरूर करें।
6) त्‍वचा:
रेगुलर एक्‍सरसाइज करने से त्‍वचा में ग्‍लो आता है क्‍योंकि शरीर में ब्‍लड़ सर्कुलेशन अच्‍छा रहता है जिससे त्‍वचा स्‍वस्‍थ रहती है और उसमें अंदरूनी चमक आती है।
7) रिलैक्‍स रहें:
जी हां, एक्‍सरसाइज करने से आपका मन शांत हो जाता है और आप रिलैक्‍स हो जाते हैं। एक्‍सरसाइज करने से आपका ध्‍यान सारी चिंताओं से दूर हो जाता है जिससे आप राहत महसूस करते हैं।

6 Ways to 7 days inside the abdomen in Hindi | 6 तरीके जो 7 दिन में पेट को अंदर कर देंगे | How To Get Rid Of Belly Fat Within 7 Days

6 तरीके जो 7 दिन में पेट को अंदर कर देंगे:

● मोटापा एक बीमारी है जो न सिर्फ पर्सनैलिटी खराब करती है बल्कि कई बीमारियों को भी न्योता देता है। मोटापा बढऩे पर हाई ब्लडप्रेशर , कमर दर्द , दिल की बीमारी , घुटने में दर्द जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसीलिए मोटापा कम करते हैं तो डायटिंग करते हैं या घंटों जिम में वर्कआऊट करते हैं लेकिन फिर भी वजन कम नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनका डाइट चार्ट सही नहीं होता है। अगर खाने पर पूरा ध्यान दिया जाए और थोड़ा वर्कआऊट किया जाए तो वजन को जल्द ही कम किया जा सकता है आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही छोटे-छोटे टिप्स जिनसे आप सिर्फ सात दिनों में अपना वजन चमत्कारिक रूप से कम कर पाएंगे...


1) चॉकलेट्स, आलू, अरबी और मीट आदि न खाएं और चावल भी मांड निकाल कर खाएं। ओवर ईटिंग न करें और बीच-बीच में भूख लगे तो सलाद गाजर, खीरा, ककड़ी भूने चने, सलाद, मुरमुरे, रोस्टेड स्नेक्स आदि खा सकते हैं।

2) रोजाना सुबह और शाम वॉक पर जाएं। कम से कम 4 कि.मी.वॉक करें। लंच के बाद भी कुछ देर जरुर वॉक करें।अगर आप रात में 8:30 बजे के बाद खाना खा रहे हैं, तो चपाती और चावल के बजाय दाल और सब्जियों को प्राथमिकता दें। रात में हल्का खाना खाएं।

3) टोंड दूध और टोंड दही, पनीर और अन्य सामग्री का इस्तेमाल करें। पानी पेट को ऐसे तत्व से भर देता है, जिसमें कोई कैलोरी नहीं होती। इससे व्यक्ति को पेट भरा होने का अहसास होता है और नतीजतन वह खाने के दौरान कम कैलोरी लेता है।पानी ज्यादा पीना चाहिए और मीठे और हाइकैलोरी वाले खाद्य पदार्थ कम लेने चाहिए।

4) खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। परंपरागत मसाले सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट , ऐंटी ऑक्सीडेंट और फाइबर भी होते हैं। सिर्फ ध्यान रखें कि इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।

5) वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टीग्रेन या मल्टीकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें।

6) दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफास्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफास्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहता हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफास्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते या खाने में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें। कभी दूध के साथ दलिया ले सकते हैं या कभी वेज सैंडविच पोहा व उपमा भी ले सकतेे हैं।

Top Benefits and Uses of Amla Juice for Skin Health | Health Benefits of Amla - Amla for Healthy Hair, Skin, Weight

Benefits of Amla Juice for Skin - Amazing Home Beauty Tips:

Amla is a fruit with great medicinal properties. It has been used since ages for all the benefits it has. Amla can be used in a number of different ways. To reap all the benefits of amla, use it in the correct way. It can be consumed orally or even applied topically. Read on to know how to use amla for all your issues.


Benefits of Drinking Amla Juice for Skin:


Complexion:
Your skin is brightened because of the antioxidants and Vitamin C in amla. Add honey to drink it, or use it as a face pack to make your complexion lighter. Blemishes are also removed.
Control Ageing:
The antioxidants in amla make your skin look younger. Fine lines, wrinkles, dark spots, and other signs of ageing are controlled.
Cleansing and Exfoliation:
Applying or consuming amla juice cleanses your body and skin. Dead skin cells are removed when you use it for exfoliation. Use some water to dilute before you apply it.
Damaged Tissues:
Vitamin C and antioxidants in amla make it a good healing agent. Damaged tissues are healed faster, and your skin becomes clear and healthy. Dry and scaly skin is also cured.
Pigmentation:
Amla makes your skin look flawless and glowing. Pigmentation is reduced, and your skin gets brighter. Use cotton to dip in amla juice and apply on your face. Wash off after some time for clear skin. Repeat the procedure daily.
Pimples and Acne:
Make a paste of amla and apply on your face. Wash it off after 10 to 15 minutes to get rid of acne and pimples. Drink amla juice daily to purify your blood and fight against the microorganisms that cause skin problems.
Skin Tightening and Toning:
The skin loses firmness and softness due to reduction in skin collagen. The Vitamin C in amla helps in production of collagen and makes your skin soft, smooth, and supple. It is also made tighter and toned.

आंवले के प्रयोग | health benefits of amla in hindi | Benefits of Amla - आंवला के फायदे और गुण

आंवला के फायदे और गुण:


वमन (उल्टी) : -* हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
* त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 ग्राम जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
* आंवले के 20 ग्राम रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
* आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
* आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
* आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 ग्राम सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
* आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

संग्रहणी : -मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।
"मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) : -* आंवले की ताजी छाल के 10-20 ग्राम रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
* आंवले के 20 ग्राम रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।

विरेचन (दस्त कराना) : -रक्त पित्त रोग में, विशेषकर जिन रोगियों को विरेचन कराना हो, उनके लिए आंवले के 20-40 मिलीलीटर रस में पर्याप्त मात्रा में शहद और चीनी को मिलाकर सेवन कराना चाहिए।
अर्श (बवासीर) : -* आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
* बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
* सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
* सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
* आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
* आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

शुक्रमेह : -धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 ग्राम तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।
खूनी अतिसार (रक्तातिसार) : -यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 ग्राम तक दिन में 3 बार पिलाएं।
रक्तगुल्म (खून की गांठे) : -आंवले के रस में कालीमिर्च डालकर पीने से रक्तगुल्म खत्म हो जाता है।
प्रमेह (वीर्य विकार) : -* आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
* आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।

पित्तदोष : -आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं|

तुलसी को संभालकर रखे :: बहुत काम की है | Basil (Tulsi)is a lot of work stored | health benefits of basil leaves

28 Amazing Benefits and Uses Of Basil (Tulsi) Leaves:

 हमारे दैनिक जीवन में तुलसी का बहुत ही व्यापक उपयोग है। हमें गमलों में तुलसी के भी दो-चार पौधे लगाने चाहिए।
* तुलसी 24 घंटे हमको आक्सीजन देती है |
* तुलसी का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। तुलसी का उपयोग करने के तत्काल बाद दूध नहीं पीना चाहिए। उससे कई रोग पैदा हो जाते हैं। अनेक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन दूध के साथ बताया गया है लेकिन तुलसी का सेवन गंगाजल, शहद या फिर सामान्य पानी के साथ बताया गया है।
आयुर्वेद के मतानुसार, यदि कार्तिक मास में प्रातःकाल निराहार तुलसी के कुछ पत्तों का सेवन किया जाए तो मनुष्य वर्ष भर रोगों से सुरक्षित रहता है।
* तुलसी के सेवन से विचार शुद्ध और पवित्र रहते हैं। वासना की ओर मन आकृष्ट नहीं हो पाता। मन में न तो वासनात्मक विचार उत्पन्न होते हैं न क्रोध आता है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में चुस्ती-फुर्ती पैदा होती है। चेहरा कान्तिपूर्ण बन जाता है।
तुलसी रक्त विकार का सबसे बड़ा शत्रु है। रक्त में किसी भी कारण से विकार उत्पन्न हो गए हों, धोखे या जानबूझकर खा लेने पर विष रक्त में घुलमिल गया हो, तुलसी के नियमित प्रयोग से वह विष रक्त से निकल जाता है।
* तुलसी के पौधे आंखों की ज्योति और मन को शान्ति प्रदान करते हैं। वातावरण में सात्विकता की सृष्टि करते हैं। तुलसी हृदय को सात्विक बनाती है। मन, वचन और कर्म से पवित्र रहने की प्रेरणा के लिए तुलसी प्रयोग की जाती है।

* तुलसी हिचकी, खांसी, विष विकार, पसली के दाह को मिटाने वाली होती है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित कफ तथा वायु का शमन होता है।
* तुलसी कटु, तिक्त, हृदय के लिए हितकर, त्वचा के रोगों में लाभदायक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली मूत्रकृच्छ के कष्ट को मिटाने वाली होती है। यह कफ और वात सम्बन्धी विकारों को ठीक करती है।

* सामान्यतः तुलसी के दो ही भेद जिन्हें रामा और श्यामा कहते हैं। रामा के पत्तों का रंग हलका होता है जिससे उसका नाम गौरी पड़ गया है। श्यामा अथवा कृष्णा तुलसी के पत्तों का रंग गहरा होता है और उसमें कफनाशक गुण अधिक होता है। इसलिए औषधि के रूप में प्रायः कृष्णा तुलसी का ही प्रयोग किया जाता है। इसकी गंध व रस में तीक्ष्णता होती है। 


तुलसी की अन्य कई प्रजातियाँ होती हैं। एक प्रजाति ‘वन तुलसी’ है जिसे ‘कठेरक’ भी कहते हैं। इसकी गंध घरेलू तुलसी की अपेक्षा कम होती है और इसमें विष का प्रभाव नष्ट करने की क्षमता होती है।
दूसरी जाति को ‘मरुवक’ कहते हैं। हथियार से कट जाने या रगड़ लगकर घाव हो जाने पर इसका रस लाभकारी होता है। किसी विषैले जीव के डंक मार देने पर भी इसका रस लाभकारी होता है। 
तीसरी जाति बर्बरी या बुबई तुलसी की होती है, इसकी मंजरी की गंध अधिक तेज होती है। इसके बीज अत्यधिक वाजीकरण माने गए हैं।

तुलसी के कई नाम हैं --
* कायस्था--क्योंकि यह काया को स्थिर रखती है।
* तीव्रा--क्योंकि यह तीव्रता से असर करती है।
* देव-दुन्दुभि--इसमें देव-गुणों का निवास होता है।
* दैत्यघि- -रोग-रूपी दैत्यों का संहार करती है।
* पावनी- -मन, वाणी और कर्म से पवित्र करती है।
* पूतपत्री- -इसके पत्र (पत्ते) पूत (पवित्र) कर देते हैं।
* सरला-- हर कोई आसानी से प्राप्त कर सकता है।
* सुभगा- -महिलाओं के यौनांग निर्मल-पुष्ट बनाती है।
* सुरसा-- यह अपने रस (लालारस) से ग्रन्थियों को सचेतन करती है।

* कार्तिक महीने में जो तुलसी का सेवन करता है, उसे साल भर तक डॉक्टर-वैद्य, हकीम के पास जाने की जरूरत नहीं पड़तीं।
* तुलसी के पत्तो (रस) सेवन करने के बाद दूध न पीएं। इससे चर्म-रोग हो सकते हैं।
* कार्तिक महीने में यदि तुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकें हों तो उसके बाद पान न खाएं। ये दोनों गर्म हैं और कार्तिक में रक्त-संचार भी प्रबलता से होता है, इसलिए तुलसी के बाद पान खाने से परेशानी में पड़ सकते हैं।
* तुलसी-दल के जल से स्नान करके कोढ़ नहीं होता।
* सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान अन्न-सब्जी में तुलसी-दल इसलिए रखा जाता है कि सौरमण्डल की विनाशक गैसों से खाद्यान्न दूषित न हो।
* जीरे के स्थान पर पुलाव आदि में तुलसी रस के छींटे देने से पौष्टिकता और महक में दस गुना वृद्धि हो जाती है।

* तेजपात की जगह शाक-सब्जी आदि में तुलसी-दल डालने से मुखड़े पर आभा, आंखों में रोशनी और वाणी में तेजस्विता आती है।
* तेल, साबुन, क्रीम और उबटन में तुलसी, दल और तुलसी रस का उपयोग, तन-बदन को निरोग, सुवासित, चैतन्य और कांतिमय बनाता है।

सामान्य ज्वर:-
* दस तुलसी के पत्ते, बीस काली मिर्च, पांच लौंग, थोड़ी-सी सोंठ पीसकर ढाई सौ मिलीलीटर पानी में उबाल लें और शक्कर मिलाकर रोगी को पिला दें। अगर रोगी को ज्वर के कारण घबराहट महसूस होती हो तो तुलसी के रस में शक्कर डालकर शरबत बना लें और रोगी को पिला दें। शीघ्र आराम मिलता है।
मौसमी बुखार:-
* तुलसी की दस ग्राम जड़ लेकर पानी में उबालिए और पी जाइए दो-तीन दिन सुबह-शाम इस उपचार से रक्त-साफ स्वच्छ हो जाएगा।
पुराना बुखार:-
तुलसी रस में मिश्री घोलकर तीन-तीन घंटे बाद तीन दिन तक पिलाए। ज्वर भी उतर जाएगा और खांसी व दर्द भी जाते रहेंगे।
सर्दी बुखार:-
* पांच तुलसी-दल और पांच काली मिर्च पानी में पीसकर पिलाएं। तुलसी-मिर्च का वह चूर्ण ढाई सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से तुरन्त असर होता है। आधे-आधे घंटे बाद दो बडे़ चम्मच पिलाते रहने से निश्चित लाभ होता है।
खांसी बुखार:-
* दस ग्राम तुलसी-रस, बीस ग्राम शहद और पांच ग्राम अदरक का रस मिलाकर एक बड़ा चम्मच भर कर पिला दें। अद्भुत योग है, आजमाकर देख लें।
* ग्यारह पत्ते तुलसी और ग्यारह दाने काली मिर्च, दोनों को पानी में पीसकर छान लें। इधर आग पर मिट्टी का खाली सकोरा पकाकर लाल कर दें और उसमें तुलसी काली मिर्च का घोल छौंक दें। यह घोल गुनगुना रह जाने पर काला नमक मिलाकर पिला दें। खांसी बुखार समूल निकल भागेंगे।
* दो ग्राम तुलसी पत्ते, दो ग्राम अजवायन पीसकर पचास ग्राम पानी में घोलकर पिला दें। सुबह-शाम पिलाएं।
मलेरिया:-
* तुलसी का रस, मंजरी, तुलसी-माला, तुलसी के पौधे और तुलसी-बीज मलेरिया को काटकर फेंक देते हैं। तुलसी-रस दस ग्राम और पिसी काली मिर्च एक ग्राम मिलाकर रोगी को दिन में पांच-छह बार दो-दो घंटे बाद पिलाते रहें। परेशानी से बचना चाहें तो तुलसी के दो सौ ग्राम रस में सौ ग्राम काली मिर्च मिलाकर रख दें। सुबह-दोपहर-शाम एक-एक चम्मच पिलाएं।
पुराना मलेरिया:-
* सात तुलसी-दल और सात काली मिर्च दोनों दाढ़ के नीचे रखकर चूसते रहें दिन में तीन-चार बार यही प्रक्रिया दोहराने से महीनों पुराना मलेरिया भी भाग जाएगा।
लगातार बुखार रहना:-
* जलकुम्भी के फूल, काली मिर्च और तुलसी-दल, तीनों समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें और प्रातः-सायं पिलाएं।
* तुलसी-दल दस ग्राम लेकर पांच दाने काली मिर्च के साथ घोट लें और दिन में तीन बार सेवन कराएं। आन्तरिक सफाई होते ही बुखार का नामोनिशान भी नहीं रहेगा।

सन्निपात:-
* ज्वर इतने जोर का बढ़ जाए कि आदमी बड़बड़ाने लगे, ऐसी स्थिति में तुलसी, बेल (बिल्व) और पीपल के पत्तों का काढ़ा उबालें। जब पानी ढाई-तीन सौ ग्राम बच जाए तो शीशी में भर लें। दस-दस ग्राम दो-दो घंटे बाद रोगी का पिलाते रहें। निश्चित ही लाभ होगा।

लू लगना:-
* एक चम्मच तुलसी-रस में देशी शक्कर मिलाकर एक-एक घंटे बाद देते रहें। यह न समझें कि तुलसी-रस गर्म होने से हानि पहुंचाएगा। संजीवनी शक्ति जिस कन्दमूल में भी होगी, वह गर्म ही होगा। आराम आने के बाद भी धूप में निकलना हो तो तुलसी रस में नमक मिलाकर पीएं इससे लू लगने की आशंका ही नहीं रहेगी। प्यास भी कम लगेगी और चक्कर भी नहीं आएंगे।

टूटा-टूटा बदन:-
* उपचार-तुलसी दल की चाय बनाकर पीएं आपके बदन में ताजगी की लहरें दौड़ने लगेंगी। घर में अगर चाय की पत्ती की जगह तुलसी दल सुखाकर रख लें तो कफ, सर्दी, जुकाम, थकान और बुखार या सिर-दर्द पास भी नहीं फटकेंगे।

जुकाम:-
* छोटी इलायची के कुल दो दाने और एक ग्राम तुलसी बौर (मंजरी) डालकर काढ़ा बनाएं और चाय की तरह दूध-चीनी डालकर पिला दें। दिन में चार-पांच बार भी पिला देंगे तो खुश्की नहीं करेगी, मगर सर्दी-जुकाम को जड़ से ही गायब कर देगी।
* तुलसी के पत्ते छः ग्राम सोंठ और छोटी इलायची छः-छः ग्राम, दालचीनी एक ग्राम पीसकर चाय की तरह उबाल लें। थोड़ी-सी शक्कर डाल लें। दिन में इस चाय का चार बार बनाकर पीएं। कुछ खाएं नहीं जुकाम कैसा भी हो ठीक हो जाएगा।
यदि जुकाम के साथ बुखार भी हो तो चाय के अलावा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर दिन में चार बार सेवन करें। जुकाम के कारण होने वाला ज्वर शान्त हो जाएगा।
* दालचीनीं, सोंठ और छोटी इलायची, कुल एक ग्राम, तुलसी-दल, छह ग्राम, इन्हें पीसकर चाय बनाएं और पीएं। दिन में ऐसी चाय चार बार भी ले सकते हैं। उस रात पेट भरकर खाना न खाएं। अगली सुबह आराम आ जाएगा।

शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:-
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

नपुंसकता:--
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

मासिक धर्म में अनियमियता:-
* जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है
* तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है

करेला खाने के लाभ (The benefits of eating bitter gourd) | 10 benefits of bitter gourd in Hindi

Top 15 Health Benefits Of Bitter Gourd:


करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है।
हमारे शरीर में छ: रस चाहिए - मीठा, खट्टा, खारा, तीखा, कषाय और कड़वा | पांच रस, खट्टा/खारा/तीखा, तो बहुत खाते हैं लेकिन कड़वा नहीं खाते हैं | कड़वा कुदरत ने करेला बनाया है लेकिन करेले को निचोड़ के उस की कड़वाहट निकाल देते हैं | करेले का छिलका नहीं उतारना चाहिए और उसका कड़वा रस नहीं निकालना चाहिए | हफ्ते में पन्द्रह दिन में एक दिन करेला खाना तबियत के लिए अच्छा है |

1)कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
2)करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है।
3)करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है।
4)दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
5)लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
6)उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।
7)लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है।
8)जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
9)पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
10)डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
11)करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
12)बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
13)गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
14)दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
15)उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
16)करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।

Sunday, 4 October 2015

Top 10 Benefits of Vitamin E for Hair and Skin

Vitamin e is usually a strong, fat-soluble antioxidant that could refresh your well being along with splendor. This encompasses a small grouping of nine ingredients which include equally tocopherols and also tocotrienols.

This operates as a possible the immune system booster-style, stimulates excellent blood flow, adjusts blood glucose levels, keeps your current center nutritious, inhibits stroke-induced mind deterioration and also safeguards against particular types of cancer.

Some really good eating types of e vitamin consist of essential olive oil, coconut oil, avocados, spinach, sunflower vegetables, wheat or grain germ, nuts and also whole grains.

Your curly hair and also epidermis features about this kind of nutritional can also be recognized. You will find a good almost endless quantity of bath and body goods that have e vitamin as a key component.

You can actually obtain 100 % pure e vitamin oil or e vitamin tablets to make use of throughout home splendor treatment options. Except usually famous, work with these types of solutions and soon you find the sought after consequence.


1. Stimulates Hair Growth:


Vitamin e has antioxidant components that will guide mend ruined strands of hair and forestall muscle rust, which inturn encourages nutritious hair growth.

Furthermore, it significantly problems the particular curly hair through main to the whole length for making that much healthier and also shinier, as well as inhibits premature graying.

Mixture the particular articles regarding a couple of e vitamin tablets throughout a couple of tablespoons regarding hot olive or coconut oil. Massage the particular mix on your top of the head making use of your convenience throughout rounded motions. Delay a half-hour, next clean nice hair seeing that common. Do this again hair growth remedy two or three occasions 7 days.

Also you can therapeutic massage your current top of the head having coconut dairy (rich throughout nutritional E), abandon that on for a half-hour and rinse that out having lukewarm mineral water. Accomplish this a couple of times 7 days.

Furthermore, consist of nutritional E-rich meals in your diet to nurture nice hair through inside.
a couple of. Ends Surgical marks

2. Fades Scars


One more splendor advantage of e vitamin will be that will it can benefit lose colour scarring. Just as one antioxidant, that increases the particular curing regarding ruined epidermis and also inhibits scarring through turning into permanent.

Furthermore, its moisturizing house keeps your skin hydrated and also facilitates mend ruined muscle.

Use the particular oil produced at a e vitamin pills for the afflicted epidermis.
Massage that carefully for 5 to 10 a few minutes.
Give it time to sit down for at least a half-hour ahead of rinsing that down having tepid to warm water.
Accomplish this a second time every day and soon you are generally enthusiastic about the effect.

3. Fights Wrinkles:


You need to use e vitamin to fight lines and wrinkles, grow older areas and also other signals regarding aging. Vitamin e has the capacity to reverse the particular deterioration performed by unsafe photovoltaic the radiation along with the cost-free radicals in this surroundings.

This perhaps boosts the creation regarding collagen that will provides strength in your epidermis, which inhibits aging signals similar to lines and wrinkles.

Use the particular oil at a e vitamin pills upon the particular afflicted epidermis every day ahead of sleeping. Depart that on overnight. The next day, rinse that down having tepid to warm water.

Ceremony therapeutic massage the particular afflicted parts having hot essential olive oil, the prosperous way to obtain e vitamin, two or three occasions every day.

Consuming nutritional E-rich meals often will be a different straightforward and also useful strategy to fight signals regarding aging.

4. Treats Skin Hyperpigmentation:


Also you can work with e vitamin to deal with hyperpigmentation of the epidermis that produces bumpy shade and also darker patches on any the main entire body.

Just as one antioxidant, e vitamin can easily reverse the particular deterioration performed with the harsh ultraviolet (UV) sun shine.

Mixture the particular articles regarding one or two e vitamin tablets having 1 teaspoon regarding castor oil. Use the particular mix for the afflicted epidermis ahead of sleeping, abandon that on overnight and also rinse that journey subsequent day. Utilize this solution every day to get a thirty days.
Or perhaps, purely work with e vitamin oil to therapeutic massage the particular afflicted epidermis for 10 to a quarter-hour a second time every day for a couple weeks to cut back hyper pigmentation.

5. Softens Rough and Dry Hands:


Vitamin e is an excellent moisturizer in it for dried out and also hard arms. It assists keep the epidermis soft, flexible and also moisturized. Furthermore, that inhibits your skin on your arms through drooping, helping to make the hands appear previous.

Mixture slightly e vitamin oil along with your entire body gel and also put it on on your arms to keep these people moisturized for a longer period.

Also you can put the particular articles regarding a couple of e vitamin tablets, the particular juice of 1 orange and a few sweetie into a little bath or pan loaded with lukewarm mineral water. Absorb the hands within it for 10 to a quarter-hour. Pat dried out, next use some moisturizer in it. Adhere to this kind of solution a couple of times 7 days.
Ceremony therapeutic massage your current hard arms having some hot essential olive oil for 5 to 10 a few minutes every day ahead of sleeping to take pleasure from soft and also clean arms.

6. Erases Stubborn Stretch Marks:


Whether you've stretch marks on your entire body due to having a baby or unexpected weight loss or achieve, you can look at e vitamin to eliminate the particular unattractive represents.

It's strong antioxidant components that will guard the particular collagen fibers with your epidermis through free-radical deterioration. This specific stimulates epidermis strength and also snacks stretch marks.

Mixture the particular liquid through four or five e vitamin tablets with an the same quantity of orange juice. Massage this kind of option carefully for the stretch marks for 5 to 10 a few minutes. Depart that on around a half-hour, next rinse that down having mineral water. Accomplish this every day for a couple weeks with the represents to lose colour.
Ceremony therapeutic massage the particular afflicted epidermis having hot coconut or essential olive oil two or three occasions each day.

The benefits of vitamin C | फायदे ही फायदे विटामिन C | Amazing Benefits Of Vitamin C For Skin, Hair And Health



But the benefits of vitamin C may include protection against immune system deficiencies, cardiovascular disease, prenatal health problems, eye disease, and even skin wrinkling

(१)रोग रक्षक कवच है विटामिन C


ठंडी का मौसम आ धमका है जनाब सर्दी जुकाम के वकफे (अवधि ),बार -
बार होने वाले हमले से बचाये रहता है विटामिन C.जुकाम के बारे में 
अक्सर कह दिया जाता है दवा खाओगे तो सात दिन नहीं खाओगे तो एक 
हफ्ते में जाएगा यह वायरस का बहु रुपिया भूत है । लेकिन हुज़ूर इसकी 
पुनरावृत्ति आवर्तन कमतर होती जायेगी करके देखो इसका नियमित 
 सेवन।


ENDURANCE ATHLETES:

यहाँ २०१३ में ही संपन्न उस अध्ययन आकलन (Cochrance Review)का 
उल्लेख करना प्रासंगिक होगा  जिसमें  लम्बी दौड़ के धावकों ,,स्कीइंग 
करने वाले व्यक्तियों अन्य खिलाड़ियों को इस विटामिन के प्रेक्टिस  
दौरान सेवन करते रहने से होने वाले लाभ का ज़िक्र किया गया है।इनमें 
विटामिन C सम्पूरण लेते रहने से कॉमन कोल्ड के खतरे के मौके घटके 
५० फीसद रह गए थे. 
यूं सभी के लिए इसका सेवन लाभदायक है। 

एलर्जी और विटामिन C :


एलर्जिक राइनाइटिस को कम करने में विटामिन E ,विटामिन C तथा मच्छी के तेल (cod liver oil )का इस अधययन में जादुई असर देखा गया।

जख्म के भरने में विटामिन C :


चमड़ी के ऊतक कोलाजन के निर्माण को हवा देकर यह 
विटामिन जख्म भरने की प्रक्रिया को पंख लगा देता है। 
बर्न के मामलों  में इस कोलाजन का  बड़ा हाथ रहता 
है। चमड़ी को यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में एक शानदार 
सुरक्षा कवच मुहैया करवाता है। एंटीऑक्सीडेंट की चर्चा  
लेख के पहले पार्ट में हम विस्तार से कर चुके हैं। 

A scientific review in Dermatologic Surgery found that skin products containing vitamin C may support healthy collagen formation and protection from UVA and UVB  rays .

कोलाजन उस संरचनातमक प्रोटीन को कहा जाता है जो प्राणि  मात्र के आबंधी ऊतकों (connective tissues )का मुख्य घटक है।

यूनानी भाषा का एक शब्द रूप है "kolla"जिसका अर्थ है सरेस ,लेई ,या गोंद जिसका हम  आम इस्तेमाल करते हैं। प्रत्यय "gen "का अर्थ है कौशल द्वारा कुछ गढ़ना बनाना। 

नेत्रों को स्वस्थ  रखने का अचूक नुस्खा है विटामिन C नेत्र लेंस पर यह "ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस" को कम करके आँखों  को एक सुरक्षा कवच मुहैया करवाता है। ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का जनक सूर्य का प्रकाश बनता है। देर तक धूप में रहना ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की वजह बन सकता है। 



Inflammation is the body's attempt at self- protection; the aim being to remove  harmful stimuli, including damaged cells, irritants, or pathogens - and begin the healing process.

डेंगू बुखार से बचाव| डेंगू से बचाव के लिए अपनाएं ये आसान उपाय | Dengue Prevention in Hindi

Dengue Prevention in Hindi

डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर काटने के 7-8 दिन बाद दिखाई देते है| किसी को बुखार व चकते निकल आते है, तो किसी को उलटी और बुखार होता है| ये सभीलक्षण सामान्य फ्लू के भी है, तो ऐसे लक्षण होने पर आप यही ना समझे की आपको डेंगू हुआ है| 
लक्षण ::
सर दर्द
तीव्र बुखार
जोड़ो में दर्द
उलटी/दस्त
पुरे शरीर में दर्द
आँखों में दर्द
शरीर के कुछ हिस्सों पर लाल लाल चकते निकल आना
कई बार नाक से खून आता है|

उपचार ::
डेंगू के उपचार का कोई specific Treatment नहीं है| यह एक तरह का वायरल है जिसके लिए कोई विशेष दवा या वेकसीन नहीं बनी है|
डेंगू बुखार में खून की कमी हो जाती है, जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है|
डेंगू के मरीज को पपीते के पत्तों का रस पिलाना चाहिए इससे खून की कमी पूरी होती है|
१. अनार जूस
२. गेहूं घास का रस
३.पपीते के पत्तो का रस
४,नीम गिलोय सत्व
इन सब का जूस और रस दिन में देते रहे |
-- गिलोय घनवटी २-२ गोली दिन में ३ बार देवे |
-- रोगी बार बार उलटी करे तो सेव का रस में निम्बू डाल कर पिलाये जिस से उलटी बंद हो जाएगी |
-- बुखार से पहले ही अगर महासुदर्शन चूर्ण एक चमच दिन में २ बार और अमृतारिष्ट २-२ चमच पानी के साथ लेना अच्छा रहता है जिस से डेंगू का प्रभाव नहीं होगा | 

तुलसी का छोटा सा प्रयोग जरुर करे, Health Benefits and Medicinal Uses of Eating Basil (Tulsi), benefit of eating Basil

28 Amazing Benefits and Uses Of Basil Leaves:

तुलसी की 21 से 35 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भांति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठी दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खायें।
ध्यान रहे दही खट्टा न हो और यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें।
छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी रस शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भुलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं। दवा दिनभर में एक बार ही लें कैंसर जैसे असह्य दर्द और कष्टप्रद रोगो में २-३ बार भी ले सकते हैं।

इसके तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सर्दी, ताजा जुकाम या जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास रोग, स्मरण शक्ति का अभाव, पुराना से पुराना सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेचिश, मन्दाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दे का ठीक से काम न करना, गुर्दे की पथरी तथा अन्य बीमारियां, गठिया का दर्द, वृद्धावस्था की कमजोरी, विटामिन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चर्म रोग, शरीर की झुर्रियां, पुरानी बिवाइयां, महिलाओं की बहुत सारी बीमारियां, बुखार, खसरा आदि रोग दूर होते हैं।

जुकाम, हरारत, फ्लू व मौसमी बुखार में तुलसी, काली मिर्च व मिश्री मिलाकर पानी में पकाकर, अथवा तीनों को पीसकर गोलियाँ बना दिन में तीन-चार बार लेने से लाभ होता है।

खाँसी में तुलसी की पत्तियों व अदरक को पीसकर शहद के साथ चाटने से लाभ पहुँचता है।
दस्त लगने पर तुलसी के 10 पत्तों को एक माशा जीरे में पीसकर दिन में 3-4 बार चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।
मुख की दुर्गंध दूर करने के लिए दिन में दो बार तुलसी के 4-5 पत्ते चबाएँ।
घाव शीघ्र ठीक करने के लिए तुलसी पत्र व फिटकरी खूब बारीक पीसकर घाव पर छिड़कें।
जलने पर तुलसी का रस व नारियल तेल फेंटकर लगाने से जलन दूर होगी, जख्‍म भी ठीक होंगे व जख्म का निशान भी धूमिल हो जाता है।
चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए तथा झाँई व मुहाँसे के दाग मिटाने के लिए तुलसी के पत्तों को पीसकर उबटन करें।
बुद्धि व स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन तुलसी के पाँच-सात पत्ते जल के साथ निगलें।
मूत्रदाह की शिकायत में तुलसी के पत्तों का दो तोला रस पावभर दूध व डेढ़ पाव पानी में पिलाकर पी जाएँ।
गठिया दूर करने के लिए तुलसी की जड़, पत्ते, डंठल, मंजरी और बीज बराबर मात्रा में लेकर कूट, छानकर पुराने गुड़ के साथ मिला लें और बकरी के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
त्वचा संबंधी रोगों के लिए तुलसी के पत्तों के साथ पकाया हुआ तिल्ली का तेल लगाएँ।
इसके साथ ही कीड़े-मकौड़े काटने पर, गर्मी में लू लगने पर तथा रक्त शुद्धि के लिए भी तुलसी उपयोगी है।

मोटापा घटाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय :: Top 10 Home Remedies for Obesity & Weight Loss, 11 Amazing Herbal Remedies for Weight Loss

लोग जादुई फार्मूला ढूढ़ रहे है मोटापे का:

गेहूं ,चावल,बाजरा और साबुत मूंग को समान मात्रा में लेकर सेककर इसका दलिया बना लें ! इस दलिये में अजवायन २० ग्राम तथा सफ़ेद तिल ५० ग्राम भी मिला दें ! ५० ग्राम दलिये को ४०० मि.ली.पानी में पकाएं ! स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें ! नियमित रूप से एक महीनें तक इस दलिये के सेवन से मोटापा और मधुमेह में आश्चर्यजनक लाभ होता है.

11 Amazing Herbal Remedies for Weight Loss:

* अश्वगंधा के एक पत्ते को हाथ से मसलकर गोली बनाकर प्रतिदिन सुबह,दोपहर,शाम को भोजन से एक घंटा पहले या खाली पेट जल के साथ निगल लें ! एक सप्ताह के नियमित सेवन के साथ फल,सब्जियों,दूध,छाछ और जूस पर रहते हुए कई किलो वजन कम किया जा सकता है !
* मूली के रस में थोडा नमक और निम्बू का रस मिलाकर नियमित रूप से पीने से मोटापा कम हो जाता है और शरीर सुडौल हो जाता है .



* आहार में गेहूं के आटे और मैदा से बने सभी व्यंजनों का सेवन एक माह तक बिलकुल बंद रखें तथा इसमें रोटी भी शामिल है अब अपना पेट पहले के ४-६ दिन तक केवल दाल,सब्जियां और मौसमी फल खाकर ही भरें और दालों में आप सिर्फ छिलके वाली मूंग कि दाल ,अरहर या मसूर कि दाल ही ले सकतें हैं चनें या उडद कि दाल नहीं तथा सब्जियों में जो इच्छा करें वही ले सकते हैं गाजर,मूली,ककड़ी,पालक,पतागोभी,पके टमाटर और हरी मिर्च लेकर सलाद बना लें . सलाद पर मनचाही मात्रा में कालीमिर्च,सैंधा नमक,जीरा बुरककर और निम्बू निचोड़ कर खाएं बस गेहूं कि बनी रोटी छोडकर दाल,सब्जी,सलाद और एक गिलास छाछ का भोजन करते हुए घूंट घूंट करके पीते हुए पेट भरना चाहिए . इसमें मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो चिंता कि कोई बात नहीं . इस प्रकार ६-७ दिन तक खाते रहें . इसके बाद गेहूं कि बनी रोटी कि जगह चना और जौ के बने आटे कि रोटी खाना शुरू करें फिर ५ किलो देशी चना और एक किलो जौ को मिलकर साफ़ करके पिसवा लें ! ६-७ दिन तक इस आटे से बनी रोटी आधी मात्रा में और आधी मात्रा में दाल,सब्जी,सलाद और छाछ लेना शुरू करें .एक महीने बाद गेहूं कि रोटी खाना शुरू कर सकते हैं लेकिन शुरुआत एक रोटी से करते हुए धीरे धीरे बढाते जाएँ . भादों के महीने में छाछ का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इस महीनें में छाछ का प्रयोग नां करें ...

* एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर उसको छानकर एक एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से मोटापा दूर होता है ..
* चित्रक कि जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करने और खानपान का परहेज करनें से भी मोटापा दूर किया जा सकता है .
* बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
* सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
* अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
* भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
* 120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
* विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।

* तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है। तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।तथा तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

* रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें। त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।

* हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।

* सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
* सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।
* गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
* गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
* गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।
* गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
* तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
* दही को खाने से मोटापा कम होता है।तथा छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

* आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।
* 100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
* 4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
* पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
* डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

* एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।तथा एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है। एरंड को अंडी भी कहा जाता है ..
* पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।

* पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
* पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

* जवाखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है। या फिर जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
* चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।
* प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।
* मोटापा कम करेगी यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।

* सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।

* रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।

* जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।